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A review by puneetkusum
इश्क में शहर होना by Ravish Kumar
5.0
Full Review: http://poshampa.org/ishq-mein-shehar-hona/
वो पाठक जो हिन्दी में कुछ नया ढूँढ रहे हैं, जिन्हें रोमांस पसंद है और जो एक पुराने ढर्रे के बॉलीवुड टाइप प्रेम दिखाते उपन्यासों को पढ़कर ऊब चुके हैं, उनके लिए यह किताब एकदम परफेक्ट है। इसमें अंग्रेजी और मॉडर्न टेक्नोलॉजी की बातें केवल यह दिखाने के लिए नहीं की गयीं कि ये नए ज़माने के पात्र हैं, बल्कि इसमें पात्रों के ज़रिये लेखक की प्रोग्रेसिव सोच भी सामने आती है वो भी केवल दो-चार वाक्यों की बातचीत में ही।
अगर आपको दिल्ली को अपनी ही नज़रों से दोबारा एक नए रूप में देखना हो, या फिर प्रेम के उन पलों को दोबारा जीना हो जो आपका ही शहर अनजाने ही आपसे छीन लेता है या फिर हिन्दी में कुछ हल्का-फुल्का लेकिन बहुत ही खूबसूरत पढ़ना हो तो मुझे नहीं लगता, इससे बेहतर किताब का विकल्प आपके पास है। मुझे दो साल हो गए हैं इस किताब को पढ़ते हुए, लगातार पढ़ते हुए, लेकिन इश्क़ में डूबे इस शहर के लव-कॉर्नर्स आज भी पूरी तरह नहीं छान पाया।
वो पाठक जो हिन्दी में कुछ नया ढूँढ रहे हैं, जिन्हें रोमांस पसंद है और जो एक पुराने ढर्रे के बॉलीवुड टाइप प्रेम दिखाते उपन्यासों को पढ़कर ऊब चुके हैं, उनके लिए यह किताब एकदम परफेक्ट है। इसमें अंग्रेजी और मॉडर्न टेक्नोलॉजी की बातें केवल यह दिखाने के लिए नहीं की गयीं कि ये नए ज़माने के पात्र हैं, बल्कि इसमें पात्रों के ज़रिये लेखक की प्रोग्रेसिव सोच भी सामने आती है वो भी केवल दो-चार वाक्यों की बातचीत में ही।
अगर आपको दिल्ली को अपनी ही नज़रों से दोबारा एक नए रूप में देखना हो, या फिर प्रेम के उन पलों को दोबारा जीना हो जो आपका ही शहर अनजाने ही आपसे छीन लेता है या फिर हिन्दी में कुछ हल्का-फुल्का लेकिन बहुत ही खूबसूरत पढ़ना हो तो मुझे नहीं लगता, इससे बेहतर किताब का विकल्प आपके पास है। मुझे दो साल हो गए हैं इस किताब को पढ़ते हुए, लगातार पढ़ते हुए, लेकिन इश्क़ में डूबे इस शहर के लव-कॉर्नर्स आज भी पूरी तरह नहीं छान पाया।