A review by puneetkusum
Corporate Kabootar by Shan Abdur Rahman

4.0

शान रहमान की कहानियों की यह किताब 'कॉरपोरेट कबूतर' बिना किसी सोच का झंडा उठाए पाठकों के सामने केवल कुछ किस्से लेकर आयी है। ये किस्से जहाँ एक कहानी सुनने का चाव बनाए रखते हैं, वहीं अंत में एक सबक भी दे जाते हैं, लेकिन किसी कठोर तरीके से नहीं, बस ऐसे जैसे किसी ने गाल पर हलकी सी चपत लगा दी हो।

फुल रिव्यु के लिए यहां पढ़ें:

http://poshampa.org/corporate-kabootar/