दीवार में एक खिड़की रहती थी by Vinod Kumar Shukla

दीवार में एक खिड़की रहती थी

Vinod Kumar Shukla

170 pages first pub 1997 (editions)

fiction magical realism reflective slow-paced
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Description

विनोद कुमार शुक्ल के इस उपन्यास में कोई महान घटना, कोई विराट संघर्ष, कोई युग-सत्य, कोई उद्देश्य या संदेश नहीं है क्योंकि इसमें वह जीवन, जो इस देश की वह ज़िंदगी है जिसे किसी अन्य उपयुक्त शब्द के अभाव में निम्न-मध्यवर्गीय कहा जाता है, इतने खालिस रूप...

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